Thursday, January 27, 2011

बेवकूफ लड़की ..



पहाड़ के परले तरफ गाँव में एक लड़की रहती है! उसी गाँव में लड़की के मकान से चार मकान छोड़कर एक लड़का भी रहता है!दोनों बड़ा प्यार करते हैं आपस में!लड़की खेत में माँ बापू का हाथ बंटाती है और ज़रा सा मौका मिलते ही दौड़ पड़ती है तालाब के पास वाले मंदिर की ओर!जहां लड़का हाथ में ढेर सारे बेर और मूंगफली लिए उसका इंतज़ार करता मिलता है!मंदिर के पिछवाड़े की सीढियों पर दोनों बैठते हैं!
तुम मुझे कितना प्यार करते हो?
बहुत बहुत ज्यादा
हम्मेशा करोगे?
हाँ...
सच्ची...जिन्दगी भर?
और नहीं तो क्या
हम शादी के बाद एक गाय पालेंगे...उसके बछड़े का नाम ...
अरे तू भी क्या सोचने लग जाती है ..पगली! मैं तुझसे शादी न कर पाऊंगा!
लड़की सूखे पत्ते की तरह कांप उठती है...क्यों भला?
मेरे घरवाले तुझसे शादी के लिए नहीं मानेंगे...तेरी मेरी जात अलग है न!
तो क्या हुआ...
ब्याह तो मैं घरवालो की मर्जी से करूँगा...
और मैं?
तू भी अपने माँ बापू की मर्जी से कर लेना!
लड़की के साथ मंदिर..तालाब ..सीढियां सभी हैरत से एक दूसरे को देख रहे हैं!
तू तो मेरी राधा है न...बता राधा किशन का ब्याह हुआ था क्या?
लड़की चुप हो गयी है... धीरे से न में सर हिलाती है!
तो फिर...अब बोल तू भी मुझसे जिन्दगी भर प्यार करेगी न..?
हाँ...लड़की का सर फिर से हिला है!लड़की के साथ पेड़ पर बैठी गौरैया भी खामोश हो गयी है...उसके बच्चे भूख से चिल्ला रहे हैं पर वो उनकी ओर नहीं देखती है! लड़की उठकर घर की तरफ चल दी है!लड़का चिल्लाता है...कल आएगी न? लड़की हाँ में सर हिलाती है!लड़का पीछे से उसे जाते हुए देखता है और बुदबुदाता है.... बेवकूफ लड़की !
लड़की घर जाते जाते बारिश का मौसम बन गयी है....पूरा पहाड़ इतना गीला हो गया है कि बरसों तक न सूखेगा!गाँव कि एक झोपडी में लालटेन के तले बूढा बाबा कहता है... " इतनी बारिश तो सालों में नहीं हुई है!"

लड़के का ब्याह हुए दो साल हो गए हैं!लड़की अपनी सहेली से बातें कर रही है!
" तुझे कुछ खबर है उसकी?"
हाँ...शहर में रहने लगा है...
अच्छा
वो अब भी मुझे प्यार करता है
अच्छा...तुझसे कहा उसने
नहीं...मगर उसने एक बार मुझसे वादा किया था ..शराब को कभी हाथ नहीं लगाएगा! जब तक वो शराब नहीं पीता है....मुझसे प्यार करता है
सहेली जोर से हंस पड़ी है...हँसते हँसते पेट पकड़ लेती है!
क्या हुआ...?
तू कितनी भोली है...वो रोज़ शराब पीता है...उसने एक दिन भी नहीं छोड़ी! कहते कहते सहेली के चेहरे पर भी दर्द उभर आया है!
लड़की का चेहरा ज़र्द पड़ गया है.... अब लड़की बारिश नहीं बनती है! अब वह जाड़े के मौसम में तब्दील होती है... पहाड़ों पर बर्फ की मोटी चादर जम गयी है....पत्ते सिकुड़ कर बेरंग हो गए हैं! लालटेन वाला बूढा जी भर कर जाड़े को कोसता है!लड़की उठकर घर को चल दी है...सहेली पीछे से बुदबुदाती है " बेवकूफ लड़की "

साल बीतते हैं! एक दिन लड़का गाँव आकर लड़की का दरवाजा खटखटाता है! लड़की दरवाजा खोलती है....बिन पलक झपकाए हैरानी से लड़के को देखती है!
" ऐसे क्या देख रही है? तेरे घर आया हूँ! खाना बनाकर नहीं खिलाएगी?
हाँ हाँ...क्यों नहीं! लड़की का दिल उछल उछल कर छत छू रहा है! घबराहट में मेज से टकराते..मिटटी का घड़ा फोड़ते बावली सी रसोई में जाकर खाना पकाती है! ....लड़की मसाला पीस रही है...आज वह अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा खाना बना रही है! खाना पकाते पकाते लड़की बहार का मौसम बन गयी है! पहाड़ फूलों से भर गया है! पंछी चहक चहक कर पेड़ पेड़ मंडरा रहे हैं!हवा मुस्कुरा कर तितलियों से जाने क्या कह रही है!! और लालटेन वाला बूढा अपना घर छोड़कर बाग़ में जा बैठा है....मसालों की खुशबू से घर महक गया है! ! और लड़का बाहर बैठा किसी से फोन पर बात कर रहा है! खुदा ऊपर से देखकर बुदबुदाता है.... बेवकूफ लड़की !