Tuesday, September 30, 2008

घुघूती जी कहाँ हैं आजकल?

मित्रो...काफी वक्त से घुघूती जी ब्लॉग जगत से अनुपस्थित हैं! न ही पोस्ट के रूप में और न ही टिप्पणी के रूप में वे पिछले काफी समय से उन्होंने कुछ लिखा है!बीते दिनों उनके पतिदेव का स्वास्थ्य कुछ खराब था...इसलिए फ़िक्र हुई की कहीं उनके स्वास्थ्य ज्यादा खराब तो नहीं?उनका कोई मेल आई डी भी नहीं है!एक दो लोगों से जानना चाह पर उन्हें भी कुछ पता नहीं है! यदि आप में से किसी को उनके बारे में जानकारी हो तो कृपया बताएं की वे कहाँ हैं और कैसी हैं!

कृपया इस पोस्ट पर टिप्पणी न करें....सिर्फ उनकी जानकारी लेने के लिए ये पोस्ट लिखी है! धन्यवाद....

14 comments:

हिन्दुस्तानी एकेडेमी said...

आप हिन्दी की सेवा कर रहे हैं, इसके लिए साधुवाद। हिन्दुस्तानी एकेडेमी से जुड़कर हिन्दी के उन्नयन में अपना सक्रिय सहयोग करें।

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सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरि नारायणी नमोस्तुते॥


शारदीय नवरात्रारम्भ पर हार्दिक शुभकामनाएं!
(हिन्दुस्तानी एकेडेमी)
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Shuaib said...

आजकल घुघूतीजी आनलाइन भी नहीं आती, एक ईमेल से पता करो।

http://shuaib.in/chittha

संजय बेंगाणी said...

वे स्वस्थतापूर्वक है. जरूरी कार्य में व्यस्त होने से लेखन कार्य से जरूर दूर है.

pallavi trivedi said...

धन्यवाद संजय जी....जानकारी देने के लिए!

mamta said...

घुघुती जी ने काफ़ी पहले (५ -६ महीने पहले ) अपनी किसी पोस्ट मे जिक्र किया था कि उनके यहाँ कुछ नेटवर्क की प्रोब्लम के चलते वो ब्लॉगिंग से दूर हो रही है ।

रंजना said...

"घुघुतीजी कहाँ हैं आजकल ?"
सचमुच यह प्रश्न मुझे भी बड़ा आंदोलित कर रहा था.लग रहा था इसी तरह प्रश्न कर पूछूं,ब्लाग के मध्यम से..आपका आभार इस प्रयास के लिए और उनकी सकुशलता का समाचार देने के लिए बाकी लोगों का भी धन्यवाद.

रंजू भाटिया said...

सही में बहुत मिस कर रहे हैं उन्हें सूचना दे कर अच्छा किया ..शुक्रिया संजय जी

महेन्द्र मिश्र said...

बहुत मिस कर रहे हैं ..धन्यवाद

Sanjeet Tripathi said...

मैनें कुछ दिन पहले एक पोस्ट के माध्यन से अपने ब्लॉग पर एक सूचना डाली थी, इसी संदर्भ में घुघूति जी की अनुमति से, शायद आपने नहीं पढ़ी।

कृपया देखें।

http://sanjeettripathi.blogspot.com/2008/09/blog-post.html

makrand said...

u r post astik aur nastik was great
u got great sense to niddle the words
i just reached on u r blog first time
nice blog
congrates
visit my dustbin if possible and have a time
regards

samagam rangmandal said...

पल्लवीजी,पता नहीं कैसे आज इस लेख (नेस्बी)तक पहुँचा,मेरे पापा भी प्रशासनिक सेवा में थे,लगभग आपकी तरह ईमानदार। अभी कुछ दिनो सें सपनो,पैसे के अंधे दोस्तो ने इमानदारी के पागलपन पर सवाल उठाए। आपका लेख पढा,पापा की याद आ गई,भावुक भी हुआ और पहले से ज्यादा मजबूत।
आपको प्रणाम। खूब सारी बधाई। ईश्वर आपको और ताकत दे।

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

तीर स्नेह-विश्वास का चलायें,
नफरत-हिंसा को मार गिराएँ।
हर्ष-उमंग के फूटें पटाखे,
विजयादशमी कुछ इस तरह मनाएँ।

बुराई पर अच्छाई की विजय के पावन-पर्व पर हम सब मिल कर अपने भीतर के रावण को मार गिरायें और विजयादशमी को सार्थक बनाएं।

फ़िरदौस ख़ान said...

अपने ब्लॉग में आपके ब्लॉग का लिंक दे रही हूं...

iqbal abhimanyu said...

maine abhi abhi kisi post par ghughutiji ka ek recent comment dekha tha, iska matlab hai ki wo padh to rahi hain lekin likhne ke lie samay nahi mil raha hoga.
( mai aap sabhi kaa ek paathak matra hoon)